चैत्र प्रतिपदा : नव वर्ष – नव उमंग,नवतरंग, नवजीवन। नववर्ष का आरंभ हो गया- याद रखें हमारा नववर्ष यानी भारतीयों का भारतीयता के साथ आने वाला आरंभ बिंदु। भारतीय काल की गणना सूर्य और चंद्रमा से करते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की प्रणाली ब्रह्मांड पद आधारित होती है, यह तब शुरू होता है जब सूर्य या चंद्रमा मेष के पहले बिंदु में प्रवेश करते हैं। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। वास्तव में यह वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिवस है। भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इतिहास को खंगालेंगे तो हम पाते हैं कि इस दिन की महत्ता कई कारणों से है। पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन विशेष से ही हिंदू धर्म में काल की गणना की जाती है। प्राचीन काल में राजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर अपनी मातृभूमि आर्यावर्त की रक्षा की थी। उन्होंने ही विक्रम संवत शुरू किया था जिस की मान्यता भारत सरकार ने दे रखी है।
2 अप्रैल 2022 से हम विक्रम संवत 2079 में प्रवेश कर गए हैं। आने वाले समय में हमारी सभ्यता और संस्कृति, हमारा देश चतुर्दिक उन्नति करे। जनसामान्य भगवान शिव की शिष्यता के आलोक से आलोकित रहे, हम ऐसी ही कामना करते हैं। भगवान शिव की शिष्यता से इतर कोई मार्ग नहीं हो सकता। शिव हमारी संस्कृति हैं।
हमारे यहाँ देवी की उपासना का नवरात्र भी इसी दिन से प्रारंभ होता है। नवरात्र के 9 दिन उपवास एवं पवित्र रह कर हम नव वर्ष की शुरुआत देवी की शक्ति के आशीर्वाद के साथ करते हैं। वैसे तो वसंत खत्म हो जाता है पर उसका यौवन भी इसी महीने इठलाता है, बलखाता है। न शीत,न ग्रीष्म। परम पुरुष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो वह चैत्र ही रहता है। इस महीने प्रकृति एक अजीब सी खुशबू से सराबोर रहती है। पेड़ पौधे में फूल मंजर और कलियां भी इसी समय आती हैं। कहीं भी धूल धक्कड़ नहीं, बाहर भीतर सर्वत्र शुद्धता और पवित्रता- वह चाहे प्रकृति से हो या इंसान से या फिर जीव- जंतु। नई फसल के आने का समय भी यही है। चारों ओर पकी और तैयार फसलों का दर्शन आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। चैत्रप्रतिप्रदा से ही शुरु होता है भारतीय कैलेंडर। माना जाता है कि दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी ना किसी रूप में भारतीय कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं। खैर सिर्फ कैलेंडर ही नहीं अपितु हमने दुनिया को ज्ञान और भक्ति का पाठ भी पढ़ाया है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह अवसर मार्च-अप्रैल के महीने से प्रारंभ होता है। नववर्ष की शुरुआत भी नवमी की पूजा से होती है। शक्ति की आराधना पूरे भारतवर्ष में होती है। शिव और उनकी शक्तियां प्रकृति की नियामक है। हमारी संस्कृति और संस्कारों से संचालित होता है हमारा मन। अजीब विडंबना है पश्चिमी देशों की। हमारी जड़ें बताती है कि मार्च-अप्रैल में हमारे यहां भी शक्ति पूजा होती है, देवी की आराधना होती है। अन्य देशों में भी मार्च महीने में महिला दिवस मनाया जाता है। भारत में लड़कियों, स्त्रियों को देवी समझा जाता है, उनकी पूजा की जाती है। वैसे ही अन्य देशों ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस को स्वीकृति दी है। सिंधु से लेकर नील तक, टेम्स से लेकर मैकेंजी तक भारत के संस्कार हैं,भारतीयता का पुट है।