रांची:- भाजपा विधायक ने जब विधायक और सांसद निधि से स्थापित चापाकल की मरम्मति का सवाल उठाया, तो पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि उन्हें अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि इन चापाकलों की मरम्मति कौन सा विभाग कराता है। मंत्री के इस वक्तव्य पर सभा में एक बार हंगामा की स्थिति उत्पन्न हो गयी। विरंची नारायण ने कहा- जब सरकार को ही पता नहीं है, मरम्मति कौन करेगा, तो ऐसा वक्तव्य देने वाले मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं ग्रामीण विकास सह संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सारे चापाकल पीएचईडी मापदंड के अनुसार लगाये जाते है और इसकी सूची जिलों में रहती है, पेयजल विभाग राशि उपलब्ध होने पर इन सभी की मरम्मति कराया जाएगा।
इससे पहले झारखंड सरकार की ओर से आज विधानसभा में यह भरोसा दिलाया गया कि इस बार भी गर्मी के मौसम में राज्य के किसी हिस्से में पेयजल की किल्लत नहीं हानेे दी जाएगी। पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने बताया कि खराब पड़े चापाकल की मरम्मति को लेकर विभाग की ओर से युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है।
भाजपा के विरंची नारायण के एक अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में मंत्री मिथिलेश ठाकुर की ओर से बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त राशि से 8848 चापाकलों की विशेष मरम्मति की गयी, जबकि 12 हजार 464 चापाकलों को राइजन पाइप कर चालू किये किया गया और 1 लाख 10 हजार 521 चापाकलों की सामान्य मरम्मति और 849 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की मरम्मति की गयी। इसके अलावा गर्मी के मद्देनजर पूरे राज्य में खराब पड़े चापाकलों की मरम्मति के लिए आवश्यक शुरू कर दी गयी है। इसके अलावा विधायकों की अनुशंसा पर सभी पंचायतों में पांच नये चापानलों की स्थापना के लिए कार्रवाई की जा रही है। 15वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि के अंतर्गत पंचायतों को 50 प्रतिशत की राशि से जलापूर्ति की व्यवस्था कराये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त सतही जल स्त्रोत और सोलर आधारित मिनी ग्रामीण जलापूर्ति के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की जा रही है, जिससे राज्य की जनता को पेयजल की समस्या नहीं होगी।
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