
राँची:- मत्स्य पालन किसानों के अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा स्रोत है ।ऐसे में मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र शालीमार धुर्वा , सरकारी दरों पर उन्नत नस्ल के मछली जीरा एवं तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
किसानों का कहना है कि छोटे छोटे मछलियों के जीरा वे अपने तालाबों में यही सोच कर डालते हैं कि ये छोटी छोटी मछली 20 गुना 30 गुना बड़ी होकर उनके जीवन में खुशियों के दीप जलाएंगे।
रांची के धुर्वा के स्थित राज्य सरकार का मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र जो इन दिनों किसानों के उम्मीदों पर पंख लगा रहा है। केंद्र की मुख्य अनुदेशक नीलम एक्का बताती है कि यहां प्रतिवर्ष लगभग 10000 किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण एवं तकनीकी जानकारी देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है।
केंद्र के मत्स्य प्रचार प्रसार पदाधिकारी सुरेंद्र चौधरी कहते हैं कि यहां से चार पांच जिलों के मत्स्य पालक जीरा ले जाते हैं उनको समय पर सही जीरा उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश्य है। कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन हमेशा से किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है। ऐसे में सरकार द्वारा सरकारी दरों पर उन्नत मत्स्य जीरा एवं तकनीकी सहयोग की व्यवस्था कर देने से किसानों के उम्मीद में पंख लग जाते हैं।
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