
हजारीबाग :- वैश्विक महामारी कोरोना काल में लोग नए-नए खोज व उपाय निकाल रहे हैं। एक तरफ इसके माध्यम से रोजगार के सृजन का प्रयास है तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय कला को वैश्विक आयाम देने की कोशिश। इसी दिशा में हजारीबाग में आधा दर्जन से अधिक युवक और युवतियों ने यहां की स्थानीय कला कोहबर और सोहराय को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में नया प्रयोग किया है। महामारी कोरोना काल में मास्क जरूरी आवश्यकता है। ऐसे में लोग न केवल मास्क जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करें, बल्कि यह कला के कारण सुंदर हो, इस दिशा में प्रयास किया गया है। मास्क पर कोहबर और सोहराय कला उकेरे जा रहे हैं, ताकि यह सुंदर लगे और लोग आकर्षित होकर इसका उपयोग करें।
मास्क पर कोहबर और सोहराय उकेर कर इसे सुंदर बनाने की सोच रखने वाले अनिल उपाध्याय तो एक कदम आगे बढ़कर अमेज़न के माध्यम से इसे वैश्विक रूप में विश्व के किसी भी कोने में उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करने की बात कहते हैं। उन्होंने कहा कि कोहबर और सोहराय को जी आई टैग मिल गया है, ऐसे में यह प्रयास इसे वैश्विक पहचान और बाज़ार मुहैया करा रहा है।
मास्क में कोहबर व सोहराय अंकित कर रही पूजा सिंह कहती हैं कि यह एक ओर जहां नए रोजगार का सृजन है वही अपनी कला को मास्क के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश है।
प्रभा सिंह का मानना है कि यह देखने में अच्छा लगता है और लोग इसे स्वीकार कर रहे हैं। इसकी मांग भी बहुत अधिक हो रही है। वे मांग की पूर्ति करने में लगे हुए हैं। कोई इस मास्क की सराहना करता है तो उन्हें काफी अच्छा लग रहा है।
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