इविवि में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर सपा ने किया विधान सभा से वॉकआउट

लखनऊ:- उत्तर प्रदेश विधान सभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों की बढ़ी फीस, महंगाई और बेरोजगारी सहित अन्य मुद्दों पर सदन में चर्चा कराने की मांग अस्वीकार किये जाने पर सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सदन की बैठक शुरु होने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढोतरी का मुद्दा उठाया। विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की नेता प्रतिपक्ष अखिलेश की मांग को अस्वीकार कर दिया। इस पर अखिलेश के साथ सपा और रालोद के सदस्यों ने वाॅकआउट किया।

सदन से बाहर आकर सपा के विधायक अखिलेश की अगुवाई में विधान सभा से सपा कार्यालय तक पैदल मार्च करते हुए चले गये। इस दौरान सपा सदस्यों ने महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ सड़क पर जमकर नारेबाजी की। इनके हाथों में इन मुद्दों पर नारे लिखी हुयी तख्तियां भी थीं।

अखिलेश ने सदन की बैठक शुरु होने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछले 800 दिनों से छात्र फीस बढ़ोतरी की वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि विश्वविद्यालय में 500 गुना फीस बढ़ा दी गई है। प्रदेश में बेतहाशा बेरोजगारी है और महंगाई बढ़ती जा रही है। किसान सूखे और बाढ़ से त्रस्त हैं। किसान की आय घट रही है, ऐसे में फीस बढ़ा दी गई है। अखिलेश ने कहा कि कैसे गरीब छात्र पढ़ाई कर सकेंगे। सरकार को गरीब छात्रों की चिंता करते हुये उन्हें राहत देनी चाहिये, लेकिन सरकार की ओर से कुछ नहीं हुआ।

अखिलेश इसे विशेष उल्लेख का मुद्दा बता कर इस पर सदन में चर्चा कराने की मांग कर रहे थे। इस पर महाना ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा की जायेगी। अखिलेश ने अपनी बात कहना जारी रखते हुए इस मुद्दे पर चर्चा न होते देख, उन्होंने सपा एवं रालोद सदस्यों के साथ वाकआउट कर दिया। इसके बाद सपा सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।

सपा रालोद सदस्यों के वाकआउट करने पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव सदन में अपना कोई निजी एजेंडा लेकर आए थे। खन्ना ने कहा कि सदन में इन सभी मुद्दों पर बीते दो दिनों में चर्चा हो चुकी है। ऐसे में आज चर्चा का कोई औचित्य नहीं। जहां तक महंगाई, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की बात है तो योगी सरकार में सभी क्षेत्रों में बहुत बेहतरीन काम हुआ है और हो रहा है। सरकार ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार किया है।

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