हेमंत सरकार में भी भूख से कई मौत की खबर आयी, प्रशासन ने दावे को किया खारिज
रांची:- …. भात-भात कहते मर गयी 11वर्षीय संतोषी। सितंबर 2017 में इस शब्द ने पूरे सभ्य समाज को झकझोर कर रख दिया था। झारखंड के सिमडेगा जिले के रहने वाली कोयली देवी का कहना है कि उनकी बेटी भूख की वजह से मर गयी। परिवार को पिछले कई महीनों से सरकारी राशन नहीं मिल रहा था,क्योंकि वह राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पायी थी।
11वर्षीय संतोषी के अंतिम शब्द-भात (पका हुआ चावल) को लेकर देशभर में कई वीडियो वायरल हुए और इसे लेकर काफी मार्मिक गाने भी बने। संतोषी के परिवार का कहना है कि इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था, जिसके चलते 28 सितंबर 2017 में उसकी मौत हो गयी। बाद में तत्काल रघुवर दास सरकार में इस मामले को दबाने की और रफा-दफा करने की बहुत कोशिश हुई। कई दिनों तक संतोषी की मां से मीडियाकर्मियों को मिलने तक नहीं दिया गया, उसे गांव से हटाकर दूसरे स्थान पर रखा गया और सख्त पहरा भी बिठा दिया गया। रघुवर दास सरकार में भूख से कई अन्य मौत की खबर सुर्खियां में रही, हालांकि सरकारी जांच रिपोर्ट में इन मौत के संबंध में दावा किया गया कि सभी मौत बीमारी से हुई थी और जिनकी मौत हुई, उस घर में पर्याप्त अनाज उपलब्ध थे।
झारखंड में सरकार बदल गयी, लेकिन भूख से मौत का सिलसिला नहीं थमा। हेमंत सोरेन सरकार में भी पिछले वर्ष भूख से हुई कई मौत की खबर सुर्खियों में रही। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि 21 मई 2020 को देवघर के मोहनपुर इलाके में 40वर्षीय एक व्यक्ति की मौत भूख से हो गयी।ससे पहले 6 मार्च 2020 को बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के करमा गांव में 42वर्षीय भूखल घासी की मौत भूख से होने की खबर आयी थी। एक गैर सरकारी संस्था की ओर से भी दावा किया गया था कि राज्य में हाल के वर्षों मं 23 लोगों की मौत भूख से हुई है। लेकिन सरकारी स्तर पर इस तरह के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया किया जाता है।
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