आज हमारा भारत दो हिस्सों में बंट गया है, एक तरफ तथाकथित भक्तों की जमात है तो दुसरी तरफ अंधविरोध करने वाले लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। दोनो प्रकार के लोग देश के लिए अभिशाप हैं । जब आप किसी भी व्यक्ति का अंधानुकरण करने लग जाते हैं तो आप स्वयं अपने हाथों में बेड़ियां बांधने लगते हैं। दुसरी तरफ जब आपके मन में किसी व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा है तो आप उसके द्वारा किया हुआ अच्छा कार्य भी नहीं दिखाई देता है । दोनो प्रकार की स्थितियों में देश का विकास सम्भव नहीं है। हम सभी को चाहिए कि हम निष्पक्ष होकर किसी भी राजनीतिक पार्टी के द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना और बुरे कामों की निंदा करें। समाज से जिस बदलाव की अपेक्षा हम कर रहे हैं, उसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होंगी। इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता हमें निष्पक्ष होने की है, ताकि हम भिन्न भिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा किए गए दावों को जमीनी स्तर पर अध्ययन कर सकें। हमारा मत बहुमूल्य है अतः ज़रूरी यह है कि हम अपना समर्थन उस व्यक्ति को दें जो सबसे ज़्यादा योग्य हो ।