
कोलकाता:- ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में 89 रन बनाकर टीम इंडिया को टेस्ट श्रृंखला (2-1) से दिला दी। लेकिन इस दौरान उनके विकेटकीपिंग कौशल पर सवाल उठे। इसपर अनुभवी विकेटकीपर रिद्धिमान साहा का कहना है कि युवा खिलाड़ी धीरे-धीरे इसमें वैसे ही सुधार करेगा जैसे कोई ‘बीजगणित’ सीखता है। राष्ट्रीय टीम के शीर्ष विकेटकीपर माने जाने वाले साहा ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पंत की साहसिक पारी के बाद उनके लिए टीम के दरवाजे बंद हो जाएंगे। वह अपना सर्वश्रेष्ठ करना जारी रखेंगे और चयन की माथापच्ची टीम प्रबंधन पर छोड़ देना चहते हैं।
पंत के साथ रिश्ते पर-
हमारा रिश्ता मैत्रीपूर्ण है और हम दोनों अंतिम 11 में जगह बनाने वालों की मदद करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। मैं इसे नंबर एक और दो के तौर पर नहीं देखता। जो अच्छा करेगा टीम में उसे मौका मिलेगा। मैं अपना काम करता रहूंगा। चयन मेरे हाथ में नहीं है, यह प्रबंधन पर निर्भर करता है।
पंत के भविष्य पर-
कोई भी पहली कक्षा में बीजगणित नहीं सीखता। आप हमेशा एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं। पंत अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है और निश्चित रूप से सुधार (विकेटकीपिंग) करेगा। उसने हमेशा परिपक्वता दिखाई है और खुद को साबित किया है। लंबे समय के लिए यह भारतीय टीम के लिए अच्छा है।
पंत-धोनी की तुलना पर-
पंत ने एकदिवसीय और टी-20 प्रारूप से बाहर होने के बाद जो जज्बा दिखाया वह असाधारण है। धोनी, धोनी ही रहेंगे और हर किसी की अपनी पहचान होती है
बुरी फॉर्म पर-
कोई भी बुरे दौर से गुजर सकता है। एक पेशेवर खिलाड़ी हमेशा अच्छे और खराब प्रदर्शन को स्वीकार करता है, चाहे वह फॉर्म के साथ हो या फिर आलोचना के साथ। मैं रन बनाने में असफल रहा इसीलिए पंत को मौका मिला। यह काफी सरल है।
36 रन पर ऑलआउट होने पर-
यह श्रृंखला जीतना ‘विश्व कप जीतने से कम नहीं है। मैं खेल नहीं रहा था (तीन मैचों में), फिर भी मैं हर पल का लुत्फ उठा रहा था। हमें 11 खिलाडिय़ों को चुनने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में यह शानदार उपलब्धि है। जाहिर है यह हमारी सबसे बड़ी श्रृंखला जीत है।
अजिंक्य रहाणे पर बोले-
वह शांति से अपना काम करते थे। विराट की तरह वह भी खिलाडिय़ों पर भरोसा करते हैं। विराट के उलट वह ज्याद जोश नहीं दिखाते। रहाणे को खिलाडिय़ों की हौसलाअफजाई करना आता है। यही उनकी सफलता का राज है।
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