गैस आधारित होगा संयंत्र-घटेगा प्रदूषण, 2000 लोगों को मिलेगा रोजगार
रांची:- झारखण्ड के सिंदरी स्थित ऊर्वरक संयंत्र से इसी साल दिसंबर से उत्पादन शुरू हो जाएगाद्य सिंदरी खाद कारखाने में उत्पादन शुरू होने से न्यूनतम 450 लोगों को प्रत्यक्ष और 1500 से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार हासिल होगाद्य राज्य सभामें सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न का उत्तर देते हुए रसायन और उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने बताया कि मोदी सरकार ने उर्वरक उत्पाहदन में आत्मरनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एचयूआरएल के बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों से पुनः उत्पाहदन शुरू करने की पहल की हैद्य
मंत्री श्री गौड़ा ने बताया कि सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में प्रत्येरक स्थासन पर 12.7 लाख मी.टन प्रति वर्ष क्षमता के गैस आधारित यूरिया संयंत्रों की स्थादपना करके उत्पा्दन पुनः आरम्भड करने का निर्णय लिया है।
सांसद महेश पोद्दार के एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए रसायन और ऊर्वरक मंत्री डी. वी. सदानन्द गौड़ा ने बताया कि सरकार ने देश में उर्वरक संयंत्रों में ईंधन के रूप में नेफ्था के स्था.न पर प्राकृतिक गैस के प्रयोग का निर्णय लिया हैद्य फिलहाल 30 ऊर्वरक संयंत्रों में नेफ्था की जगह पर प्राकृतिक गैस का प्रयोग शुरू हो गया हैद्य एक अन्य ऊर्वरक संयंत्र सॉदर्न पेट्रोकेमिकल्सज इंडस्ट्री्ज लिमिटेड, तूतीकोरिन, तमिलनाडु का संयंत्र भी प्राकृतिक गैस के प्रयोग के लिए तैयार हो गया है।
मंत्री श्री गौड़ा ने बताया कि नेफ्था के स्थान पर प्राकृतिक गैस का प्रयोग उत्पादन की लागत को कम करता है। साथ ही, प्राकृतिक गैस का प्रयोग शुरू करने के बाद कुछ संयंत्रों में वाष्प कार्बन अनुपात 3.3 से घटकर 3.0 हो गया है, जिससे पर्यावरण में कार्बन समग्र रूप से कम हुआ है। अमोनिया और यूरिया के उत्पादन में इस्तेमाल होनेवाली ऊर्जा के स्तर में भी समग्र रूप से कमी आई है। उच्च गंधक युक्त फीडस्टॉक के स्थान पर पारिस्थितिकी-अनुकूल फीडस्टॉक के प्रयोग से अधिक स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित होता है।
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