रांची:- झारखंड में
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को खरीफ चारा फसल दिवस मनाया गया।
समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने की। संबोधन में उन्होंने कहा कि पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार जरूरी है। पशु आहार में हरा चारा के समावेश से पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता एवं पशु उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ जाती है और शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है। पशु आहार में सुखे चारे एवं दाने के साथ हरा चारा का समुचित प्रयोग करनी चाहिए।
झारखण्ड के मात्र एक प्रतिशत भूमि में चारा फसल की खेती होती है। राज्य में पशुओं के लिए करीब 45 प्रतिशत हरा चारे तथा करीब 55 प्रतिशत पशु आहार की कमी है। देश की दुग्ध उत्पादन क्षमता 3 किलो की अपेक्षा प्रदेश की दुग्ध उत्पादन क्षमता 1.5 से 2 किलो मात्र है। हरे चारे के सेवन से इसे बढाया जा सकता है। वैज्ञानिक प्रबंधन से हरा चारा फसल की खेती को बढ़ावा देकर प्रदेश में सालों भर हरा चारा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।इससे प्रदेश की बहुतायत आबादी विशेषकर ग्रामीण आबादी की पोषण एवं आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा.
विशिष्ट अतिथि ग्रामीण एसपी, रांची नौशाद आलम ने कहा कि कोविड-19 आपदा में भी जीवन सुरक्षा एवं जीविका का कृषि सबसे मजबूत सहारा रहा।प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में पशु धन का विशेष योगदान है।मुख्य फसल खेत के चारों तरफ हरा चारे फसल की खेती से पशुओं से फसलों की सुरक्षा आसानी से करते हुए हरा चारा भी प्राप्त कर सकते है। स्वच्छ दूध एवं स्वच्छ पशु उत्पाद के लिए किसानों द्वारा हरा चारा के प्रयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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