रांची:- सिमडेगा के सुदूरवर्ती गावों में बांस से बनी हॉकी स्टिक को हाथों में थामे, गेंद को अपने हिसाब से रुख देते यहां के हॉकी खिलाडियों ने पूरी दुनिया में सिमडेगा और झारखण्ड को गौरवान्वित किया है। अर्जुन अवार्डी, ओलिंपियन सिल्वानुस डुंगडुंग, असुंता लकड़ा, विमल लकड़ा, जैसे सैकड़ों हॉकी खिलाड़ी यहां की पगड़ंडियों से हाथों में हॉकी स्टिक थामे निकले और फिर राष्ट्रीयध्अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और राज्य का नाम रोशन किया। आज उसी धरा में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 11वीं राष्ट्रीय सब जूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता का उद्घाटन कर राज्य में खेल और खिलाडियों के विकास के संकल्प को फिर से स्पष्ट कर दिया। हॉकी इण्डिया ने भी माना कि सिमडेगा के हॉकी खिलाडियों का कोई विकल्प नहीं। सिमडेगा में खेल आयोजन से निश्चित तौर पर राज्य के खिलाडियों का मनोबल उंचा होगा। देश के विभिन्न राज्यों से 21 टीमों की करीब 350 महिला हॉकी खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं, जिन्हें झारखण्ड, की संस्कृति का और यहां के अनोखे सत्कार से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
टोक्यो ओलंपिक में खेलेंगी राज्य की बेटियां
झारखण्ड के खेल जगत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि तीरंदाजी के क्षेत्र से है। राज्य की महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी, कोमोलिका बारी और अंकिता भगत ने इस साल टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। टोक्यो ओलंपिक की छह सदस्यीय टीम में तीन पुरुष और तीन महिला खिलाड़ी हैं। गर्व की बात यह है कि महिला वर्ग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करनेवाली तीनों खिलाड़ी झारखण्ड से हैं। दीपिका कुमारी पहले भी दो बार टोक्यो ओलंपिक खेल चुकी हैं और वह तीसरी बार ओलंपिक खेलेंगी। जबकि कोमोलिका बारी और अंकिता भगत पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। चाईबासा निवासी कोमोलिका बारी को सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर अत्याधुनिक रिकर्व धनुष हेतु आर्थिक मदद भी पहुंचाई, ताकि कोमोलिका ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर सके।
फुटबॉल खिलाडियों को भी मिली मदद
जब पूरा देश कोरोना संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। लॉकडाउन से जनजीवन थम गया था। उस समय अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए चयनित झारखण्ड की खिलाड़ियों का प्रशिक्षण गोवा में रुक गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण के लिए गये सभी खिलाडियों को झारखण्ड बुलाया और यहीं पर उनके प्रशिक्षण और पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की। मुख्यमंत्री ने कोरोना की त्रासदी से गुजरते हुए राज्य में एक बार फिर से जिस तरह खेल के प्रति माहौल बनाया है। उसका साफ सन्देश है कि सरकार ने राज्य में खेल संस्कृति के विकास को अपनी प्राथमिकता की सूची में रखा है। इसके तहत खिलाड़ियों के आधारभूत सुविधाएं जुटाने, उनके प्रशिक्षण और उन्हें नौकरी व पुरस्कारों से प्रोत्साहन जैसे कदम शामिल हैं। झारखण्ड खेल नीति 2020 बनाकर 40 खिलाड़ियों का सीधी नियुक्ति के लिए चयन किया गया है। नई खेल नीति एक दीर्घकालिक योजना है, जिसमें राज्य में खेल संस्कृति को और बेहतर बनाने के लिए काम किए जाने है।
खेल के शक्ति के रूप में उभारने की कोशिश
राज्य में खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए पंचायत से लेकर शहर तक खेल का संरचना निर्माण होना है। इसके लिए पोटो हो खेल विकास योजना लागू की गई है। योजना के तहत राज्य में 1831 ग्रामीण खेल के मैदानों का निर्माण जारी है। मुख्यमंत्री ने चाईबासा के टोंटो में योजना के तहत निर्मित मैदान का उद्घाटन भी पिछले दिनों किया है। रांची में खत्म हो चुके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम के जीर्णोद्धार के लिए राशि का आवंटन सरकार कर चुकी है। इन सबसे ऊपर राज्य की खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाओं में पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में झारखण्ड अब देश में अग्रणी खेल शक्ति के रूप में और सशक्त होकर उभरने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में छिपी खेल प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने का काम सरकार कर रही है। खेलों के माध्यम से राज्य के सम्यक विकास के लिए खिलाड़ियों को सरकार पूरा सहयोग करेगी ।
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