
मोबाइल बंद होने के बाद 13 बार एसमएस किये जाने की बात आ रही है सामने
रांची:- झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के पूर्वडीहा निवासी नेवी अधिकारी 27वर्षीय सूरज दूबे के चेन्नई एयरपोर्ट से अपहरण और फिर महाराष्ट्र के पालघार में जला देने की घटना के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। मृतक सूरज के परिजनों ने महाराष्ट्र के पालघर पुलिस द्वारा 10 लाख रुपये के लिए अपहरण और फिर हत्या की घटना को अंजाम दिये जाने की थ्योरी से इनकार किया है। परिजनों ने इस पूरे घटनाक्रम में गहरी साजिश की आशंका जतायी है और पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन छानबीन के लिए सीबीआई जांच की मांग की है।
मृतक नेवी अफसर सूरज के बड़े भाई नरेश दूबे ने गांव में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र के पालघर के पुलिस अधीक्षक दत्तात्रय शिंदे की ओर से सूरज दूबे के बारे में 10लाख रुपये की फिरौती के लिए अपहरण और पैसे नहीं दिये जाने पर जलाकर मार दिये जाने संबंधी जो बयान दिया गया है, वह सरासर गलत है। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच और अपने छोटे भाई को शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग की है। उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया कि 30 को घर से निकलने के बाद रात चेन्नई पहुंचने के बावजूद जब ड्यूटी पर वह नहीं पहुंचा, तो नेवी कार्यालय की ओर से यह सूचना दी गयी कि वह अब तक ड्यूटी ज्वाइन नहीं करना पहुंचा है, इसके बाद स्थानीय थाने में सनहा दर्ज करा कराया गया, इस दौरान उसका मोबाइल ऑफ मिला। लेकिन पुलिस विभाग की तकनीकी टीम द्वारा छानबीन में यह बात सामने आयी है कि उसके मोबाइल से धर्मेन्द्र नामक किसी व्यक्ति को 13 बार एसएमएस किया गया। वहीं धर्मेन्द्र नामक व्यक्ति ने एक बार उनके पिता के मोबाइल पर भी फोन कर सूरज के बारे में जानकारी हासिल करनी चाही थी।
नरेश दूबे ने बताया कि पालघर पुलिस की ओर से उनके परिवार को घटना की सूचना दी गयी और यह जानकारी मांगी गयी कि कहीं उसकी किसी से दुश्मनी तो नहीं थी। 90 फीसदी जलने के बाद घायल अवस्था में सूरज द्वारा जो बयान दिया गया, उसमें किसी इरफान नामक व्यक्ति का भी जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा कि चेन्नई से पालघर तक उसके भाई को टांग कर नहीं ले जा सकता है, पुलिस का भी मानना है कि बंदूक की नोंक पर उसे पालघर ले जाया गया और जला कर हत्या कर दी गयी। इस मामले मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
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