मथुरा:- उत्तर प्रदेश की पौराणित नगरी मथुरा में अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए गोवर्धन तहसील स्थित श्यामकुंड के गया घाट में पिण्डदान करने वालों की होड़ लगी हुई है।
अखिल भारतीय चतुः संप्रदाय के महंत फूलडोल बिहारी महाराज ने रविवार को बताया कि पिण्डदान पूर्वजों के मेाक्ष का सबसे सरल उपाय है। प्रत्येक मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण (देवऋण, गुरूऋण एवं पितृऋण) होते हैं। इनमें से पितृ ऋण उतारना सबसे अधिक जरूरी माना जाता है। माता पिता की सेवा करके तथा पितृ पक्ष में पिंडदान करके पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। वैसे तो हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिण्डदान के लिए बिहार में गया तीर्थ को उपयुक्त माना गया है, किंतु मान्यता यह भी है कि गया में पिण्डदान करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे सौ गुना ज्यादा फल श्यामकुंड के गया घाट में पिण्डदान करने से मिलता है।
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के मुताबिक श्यामकुंड का निर्माण भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंशी से खोदकर किया था। इस कुंड से जुड़ा राधा कुंड है, जिसका निर्माण राधारानी ने अपने कंगन से किया था, इसलिए इसे कंगनकुंड भी कहा जाता है।
उन्होंने इस संबंध में एक पौराणिक दृष्टांन्त देते हुए बताया कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने अरिष्टासुर राक्षस का वध किया था। इस पर राधारानी ने उन्हें निजमहल में यह कहकर प्रवेश देने से मना कर दिया कि उन्होंने गोवंश का वध किया है। इसलिए वे पहले सात तीर्थों में जाकर स्नान करके आएं तभी उन्हें प्रवेश मिलेगा। भगवान कृष्ण ने इसके बाद अपनी वंशी से खोदकर श्यामकुंड को प्रकट किया और उसमें सात तीर्थों के जल का आह्वान कर उसमें स्नान करके जिस समय निज महल में प्रवेश किया उस समय राधारानी निज महल के बाहर थीं। जब राधारानी ने निज महल में प्रवेश करना चाहा तो श्यामसुन्दर ने उनसे कहा कि वे उनकी अद्धांगिनी है इसलिए पाप की वे भी भागीदार हैं। इसलिए वे भी सात तीर्थों में स्नान करके आएं तभी उन्हें निज महल में प्रवेश मिलेगा। इसके बाद राधारानी ने जैसे ही अपने कंगन से राधाकुंड को प्रकट किया तो श्यामसुन्दर ने अपने कुंड से इस कुंड को मिलाकर राधारानी से कहा कि उन्हें सात तीर्थो में जाने की जरूरत नही है, क्योंकि श्यामकुंड में पहले ही सात तीर्थों का जल है। इसके बाद कंगन कुंड में स्नान कर राधारानी आईं तो श्यामसुन्दर ने उन्हें प्रवेश दिया। इसी कारण पिंड दान के लिए गया घाट मशहूर है।
उधर राधाकुंड के कर्मकांडी कलकतिया पंण्डित के नाम से मशहूर पं. नन्दकिशोर ने बताया कि श्यामकुंड में राधा विनोद घाट के पास ही गया घाट है। इसमें सामान्य जन के साथ साथ अधिकतर बंगाली लोग पिण्डदान करते हैं। इन दिनों पितृ पक्ष के दौरान बंगाल से पिंड दान के लिये यहां आने वालों की होड़ सी मची हुई है। उन्होंने बताया कि यह सही है कि गया में जलरूप में भगवान विष्णु विराजमान हैं। फल्गू तीर्थ में किसी व्यक्ति का पैर भी पड़ जाय तो उसके पूरे कुल का उद्धार हो जाता है, किंतु मथुरा के गया घाट में पिण्डदान से मोक्ष इसलिए मिलता है कि श्यामकुण्ड में इस घाट पर श्यामसुन्दर की कृपा की वर्षा होती रहती है।
उनका कहना था कि मथुरा जिले के श्यामकुण्ड के पीछे भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का कल्याणकारी कार्य जुड़ा है। इसलिए यहां के गया घाट में पिण्डदान से भी पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि वर्तमान में गया घाट में पूर्वजों का पिण्डदान करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुुआ है।