
प्रयागराज:- उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक वकील पर हमले से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि असंतुष्ट व्यक्ति सक्षम अदालत के समक्ष जांच एजेंसी बदलने के लिए अनुरोध कर सकता है। अदालत ने इस संबंध में याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। वकीलों ने मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस के बजाए किसी अन्य जांच एजेंसी को देने का अनुरोध किया था।
जानकारी मुताबिक मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 2 फरवरी तय की। इससे पूर्व 11 जनवरी को एटा में एक वकील से साथ पुलिस की बर्बरता और उस वकील के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार के मामले में एटा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी। बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विधिज्ञ परिषद की ओर से भी एक सीलबंद लिफाफा अदालत के समक्ष पेश किया गया था। विधिज्ञ परिषद ने इस मामले की जांच सीबीआई या सीआईडी की अपराध शाखा जैसी एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध किया था। एटा जिले में वकालत करने वाले अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा और उनके परिजनों के साथ पुलिस अत्याचार के मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 8 जनवरी को इस घटना के संबंध में एटा के सीजेएम को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।
More Stories
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 7285 वर्ग फिट जमीन और खरीदी
फर्जी निकली ताजमहल में बम होने की सूचना, कॉल करने वाला गिरफ्तार
मुख्यमंत्री योगी सदन में बोले, नेता प्रतिपक्ष ने नहीं खिलाया रामरतन का प्रसिद्ध हलवा…