
पटनाः- कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में आंदोलनरत कृषकों के समर्थन में किसान महासभा के आह्वान पर बिहार में लगभग दस दिन से जारी अनिश्चितकालीन धरना महागठबंधन की 30 जनवरी की मानव श्रृंखला को ऐतिहासक बनाने के संकल्प के साथ शुक्रवार को समाप्त हो गया। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के राज्य सचिव कुणाल ने गर्दनीबाग में जारी धरना के समापन पर कहा कि यह लड़ाई अब केवल किसानों की नहीं बल्कि देश की आजादी की दूसरी लड़ाई साबित हो रही है। खेती की गुलामी का मतलब है देश की गुलामी। यदि ये तीन कानून लागू हो गए तो न केवल खेती चौपट हो जाएगी बल्कि पहले से भुखमरी की शिकार देश की बड़ी आबादी का भूगोल और विस्तृत हो जाएगा। कुणाल ने दक्षिण अफ्रीकी देश सोमालिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कॉर्पोरेट खेती ने पूरे देश को बर्बाद दिया, वही कहानी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार देश में भी दुहराना चाहती है। उन्होंने शिमला का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पहले अडानी समूह ने बाजार से कम कीमत पर सेव की खरीददारी कर ली और अब 100 रुपए प्रति सेव बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। इन कानूनों के जरिए मोदी सरकार ऐसे ही कॉर्पोरेटों को फायदा पहुंचाने और देश को बर्बाद करने पर आमादा है।
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