राँची :- वैश्विक महामारी कोरोना से मानवता त्रस्त है। दुनियां के हर कोने में हाहाकार है। अनावरण न्यूज़ ऐसे हालात में देश हित में सभी नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील करता है। हमारी पूरी टीम इस कार्य में जुटी है। ऐसे में हम आपके लिए समाचार के साथ साथ आपकी ज्ञान और साहित्य क्षुधा को भी शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। आपके समक्ष अनमिल आखर:एक आध्यात्मिक अनावरण की लेखिका अनुनीता के द्वारा लिखित एक कविता पेश कर रहे हैं। आप सभी से निवेदन है कि स्वरचित कविताएं हमें भेजें। हम उसे प्रकाशित करने की हरसंभव कोशिश करेंगे।
कवियत्री अनुनीता की कविता हमें झकझोरती है, आप भी पढ़ें –
रोम चुप है, एथेंस चुप है
चहु ओर पसरा सन्नाटा
मैनहट्टन लंदन सभी चुप
पोप चुप है,पैरिस शांत
काशी मौन काबा मौन
कौन भेदेगा सन्नाटे को
हर ओर नाँच रहा काल
दर्द से भीगी आंखें देखो
हिन्दू मुसलमाँ क्रिस्चन
मौत का पसरा सन्नाटा देखो
दिल्ली का दिल देखो
कैसे रिस रहा है रक्त देखो
प्रयाग देखो पटना देखो
मौन गंगा की लहरें हैं
कौन तोड़ेगा इस संन्नाटे को
माँ धरा मांग रही कुर्बानी
या
दे रही एक मौन शिक्षा
कौन तोड़ेगा इस संन्नाटे को
मौत के पसरे इस संन्नाटे को
सचमुच अनुनिता दीदी की ये कविता हमलोगो को इस महामारी में सतर्क रहने की शिक्षा देती है, हमलोगों की थोड़ी सी भूल हमलोगों को भी इस महामारी का शिकार कर सकती है
धन्यवाद दीदी, प्रणाम दीदी
बहुत ही सुन्दर भैया