
रांची:- झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. बीरेन्द्र कुमार सिंह ने रविवार को कहा कि मोर्चा के तत्वावधान में 26 जनवरी को ‘सरकार संविधान का पालन करो’ दिवस के रूप में मनाया जाएगा। श्री सिंह ने आज यहां कहा कि 26 जनवरी को झारखंड आंदोलनकारी गण झंडोत्तोलन कार्यक्रम में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हुए एक घंटा उपवास करेंगे। न तो झंडोत्तोलन कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा। साथ ही अखाड़े के लोगों से, खेत खलिहान के लोगों से, चौक चौराहों पर, अपने बच्चों से, अपने साथियों, हित कुटुंब को बताने का काम करेंगे। मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि अलग राज्य का गठन संविधान की धारा 3 ए के तहत हुआ है। इस धारा के अंतर्गत झारखंड की भाषा और संस्कृति प्रमुख कारण है अलग झारखंड राज्य बनने का, जिसका झारखंड में किसी प्रकार से पालन नहीं किया जा रहा है। झारखंड के माँय-माटी के सवाल, कला और कलाकारों के सवाल, भाषा, संस्कृति के सवाल, परंपरा और धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में ठोस कार्य नहीं किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि गृह, कारा आपदा राहत विभाग, जांच अधिनियम 1952 का अक्षरश: पालन नहीं हो रहा है । न ही झारखंड आंदोलनकारियों को उचित मान-सम्मान, पहचान, पेंशन, सम्मान राशि मिल पा रही है, नियोजन की शर्तो। इस जांच अधिनियम के तहत देश के स्वतंत्रता सेनानियों का चयन किया गया, स्वतंत्रता सेनानियों को सभी प्रकार के राजकीय सुविधाओं के साथ-साथ 55,000 रुपये तक पेंशन दिया जाता रहा है, वहीं इस अधिनियम के तहत झारखंड आंदोलनकारियों का चयन किया जाने के बावजूद उन्हें ऐसी सुविधाएं नहीं मिल रही है। मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि साथ ही साथ इस जांच अधिनियम में जेल जाने जैसी बाध्यता का उल्लेख नहीं है। सभी आंदोलनकारी जेल जाने वाले एवं नहीं जाने वाले बराबर हैं। इस अधिनियम के तहत एक आंदोलनकारी दूसरे आंदोलनकारी की पहचान के कार्य में पुष्टि करता है। वह आंदोलनकारी माना जाता है। झारखंड में इसका अनुपालन अर्थात संवैधानिक बातों का अनुश्रवण नहीं हो रहा है। झारखंड आंदोलनकारियों को राजकीय मान सम्मान, पहचान नहीं मिल रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के कैबिनेट से झारखंड आंदोलनकारियों के हितार्थ पास किए गए संकल्प का भी अवमानना किया जा रहा है। कैबिनेट द्वारा पारित संकल्प के तहत झारखंड आंदोलनकारियों को ताम्रपत्र, प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, मेडिक्लेम, दो बच्चों के पढ़ाई एवं नियोजन आदि का प्रावधान है। अभी तक झारखंड आंदोलनकारियों का नाम गजट में प्रकाशित नहीं होना भी झारखंड आंदोलनकारियों का अपमान है। राज्य सरकार के अधिकारी वर्ग इसका लाभ झारखंड आंदोलनकारियों को नहीं दे रहे हैं।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि 55 हजार आवेदन झारखंड आंदोलनकारियों का झारखंड/वनांचल आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग, गृह विभाग, झारखंड सरकार में लंबित है। इसके अलावा हजारों लोगों ने अब तक आवेदन किया ही नहीं है। ऐसे में सरकार को आयोग का तत्काल गठन करते हुए जो लोग आवेदन नहीं किए हैं, विज्ञापन निकालकर उनलोगों से आवेदन आमंत्रित किया जाए। सही झारखंड आंदोलनकारी छूटे नहीं और गलत जुटे नहीं, इस तर्ज पर सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए।
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