
चीन से तनातनी के बीच रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की तैयारी
नई दिल्ली:- कोरोना संक्रमण काल में भारत खुद को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में है। इसी के तहत वह रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है और इसमें भारत की मदद कर रहा है इजरायल। भारत और इजरायल पहले से विस्तारित अपनी रक्षा साझेदारी को और आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। भारत ने इजरायल के साथ अत्याधुनिक हथियारों का पूरा तंत्र विकसित करने की योजना बनाई है। भारतीय रक्षा सचिव और उनके इजराइली समकक्ष की अध्यक्षता में रक्षा सहयोग पर एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया। यह समूह दोनों देशों के संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा। भारत और इजराइल का यह कदम चीन को परेशान कर सकता है। चीन फिलहाल 1962 की ही तरह छल युद्ध कर भारत के जमीन को हड़पने की कोशिश कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उप कार्य समूह (एसडब्ल्यूजी) के मुख्य उद्देश्य मैत्रीपूर्ण देशों को संयुक्त निर्यात के अलावा प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, सह-विकास और सह-उत्पादन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवाचार आदि होंगे। इसमें कहा गया है कि एसडब्ल्यूजी के गठन की घोषणा एक वेबिनार में की गयी। बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के रक्षा सचिवों और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वेबिनार में भाग लिया और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के संबंध में बातचीत की। मंत्रालय ने कहा कि कल्याणी समूह और राफेल उन्नत रक्षा प्रणाली के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। बयान के अनुसार, यह वेबिनार इस श्रृंखला में पहला आयोजन था। इस श्रृंखला के तहत मित्र देशों के साथ वेबिनार आयोजित किए जाएंगे ताकि रक्षा निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके और अगले पांच वर्षों में पांच अरब डॉलर के रक्षा निर्यात लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। गौरतलब है कि इजरायल मिसाइलों, सेंसरों, साइबर सिक्योरिटी और वायरस डिफेंस सब सिस्टम के क्षेत्र में विश्व में अव्वल है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव है। इसके अलावा भारतीय सशस्त्र बलों में सतह से हवा में मार करने वाले अगली पीढ़ी के बराक 8 मिसाइल सिस्टम शामिल किए जा रहे है। यह 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। यह तीन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री की साझी परियोजना का हिस्सा है। भारत और इजरायल के बीच कृषि, जल, सड़क एवं परिवहन क्षेत्र में भी कई समझौते हुए है।
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