
नई दिल्ली:- राजस्व विभाग को आंकड़ों के एनालिसिस से पता चला है कि कुछ लोग वस्तु व सेवा कर (GST) में करोड़ों रुपए का कारोबार दिखा रहे हैं। हालांकि, वे एक रुपए का भी इनकम टैक्स नहीं चुका रहे हैं। विभाग ने ऐलान किया है कि ईमानदार करदाताओं के लिए फॉर्म-26AS में जीएसटी कारोबार के आंकड़ों को दिखाने से जुड़े नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फॉर्म-26AS में दिखाए गए जीएसटी कारोबार की डिटेल्स से टैक्सपेयर्स पर कंप्लायंस को लेकर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। उनके लिए ये सालाना कर ब्योरा है।
टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर अपने परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) के जरिए सालाना कर ब्योरा हासिल कर सकते हैं। फॉर्म-26AS में दिखाया गया जीएसटी कारोबार सिर्फ टैक्सपेयर्स की जानकारी के लिए है। राजस्व विभाग को इस बात की जानकारी है कि दाखिल किए गए GSTR-3B और फॉर्म-26AS में दिखाए गए जीएसटी में कुछ अंतर हो सकता है। ये संभव नहीं है कि कोई व्यक्ति जीएसटी में करोड़ों रुपए का कारोबार दिखाए और एक भी रुपए के इनकम टैक्स का भुगतान ना करे। विभाग ने आंकड़ों के विश्लेषण में इस तरह के कुछ मामले पकड़े हैं।
ईमानदार टैक्सपेयर्स पहले से ही दे रहे हैं सही जानकारी
राजस्व विभाग ने कहा कि फॉर्म-26AS में जीएसटी कारोबार से जुड़ी जानकारियों को दिखाने की जरूरत से जुड़े नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ऐसा करने के पीछे विभाग का तर्क है कि ईमानदार टैक्सपेयर्स पहले से जीएसटी रिटर्न और इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं और कारोबार की सही जानकारी दे रहे हैं। फॉर्म-26AS को 1 जून 2020 से सालाना जानकारी स्टेटमेंट में बदल दिया गया है। इसमें टीडीएस या टीसीएस (TDS/TCS) ब्योरा के साथ ही पूरी जानकारी होगी, जो एक वित्त वर्ष में वित्तीय लेनदेन, टैक्स के भुगतान, टैक्सपेयर को मिला रिफंड से संबंधित है, जिसे इनकम टैक्स रिटर्न में देना होगा।
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