
रांची:- आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि कोरोना प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था में दो तिमाहियों के लगातार संकुचन की पृष्ठभूमि में आगामी 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 के लिये आम बजट लोकसभा में पेश करेंगी। इस आम बजट पर सबकी निगाहें टिक गयीं हैं कि कैसे इकॉनमी को रफ़्तार मिलेगी और कैसे लोगों के रोजी रोजगार में बढ़ोतरी आएगी ।
सूर्यकांत शुक्ला ने बताया कि 7 जनवरी को केन्द्रीय सांख्यकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान 7.7 प्रतिशत गिरावट का जारी कर आगामी बजट की तैयारी को एक मार्गदर्शक आधार दे दिया है। शुरुआती सात महीने में अर्थव्यस्था में मिले संकेतकों का निचोड़ ही पहला अग्रिम अनुमान होता है और इसके व्यापक मायने भी होते हैं। कृषि और बिजली को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में गिरावट वाले आंकड़े ही हैं। यह सुखद है कि इन अग्रिम अनुमानों को पीएमओ ने गंभीरता से लिया है और सेक्टर विषेशज्ञ तथा आर्थिकी के जानकारों से तुरत बात करने का निर्णय लिया ताकि समस्या के सही समाधानों को आम बजट में समाहित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निजी खपत जिसे उपभोक्ता खपत भी कहते हैं, उसकी 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी होती है और अग्रिम अनुमान में इसमें 9.5 प्रतिशत की गिरावट बताई गयी है जिसे दुरुस्त करना बजट निर्माताओं की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।
अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख सेक्टर्स कृषि, इंडस्ट्री और सेवा में सबसे ज्यादा हालत ख़राब सर्विस सेक्टर की है और देश की जीडीपी में इसका 50प्रतिशत का योगदान है, इसमें पर्यटन, रेस्ट्रा, होटल, यात्रा पूरी तरह से तनावग्रस्त हैं जिन्हें बजट की घोषणाओं में तरजीह दिया जाना उतना ही जरुरी होगा जितना उपभोक्ता खपत को। यह असाधारण समय है।अस्थायी तौर पर अभी राजकोषीय घाटे की चिंता को स्थगित रखते हुए पूंजीगत मद में खर्च बढ़ाने की प्राथमिकता तय हो तभी मांग में तेजी आएगी जिसकी आज इकॉनमी को सख्त जरूरत है । इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की फंडिंग के लिये नीतिगत निवेश के उपायों की घोषणा बजट में हो। इसे बैंकों या सरकारी खजाने के भरोसे नही छोड़ा जाना चाहिए।. इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाकर आयकर दाता को खर्च करने योग्य अतिरिक्त राशि का जुगाड़ बजट में हो। हेल्थ केयर में बुनियादी सुविधा बढ़ाने के लिये बजटीय प्रावधान बढ़ाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है । होम लोन ब्याज में छूट की सीमा बढ़ाकर भी लोगों को अतिरिक्त आय दिया जाना भी कारगर होगा। दिसंबर महीने का जीएसटी राजस्व उत्साहवर्धक रहा है परन्तु अर्थव्यवस्था में जरुरी गति के लिये सिर्फ इससे संतुष्ट नही हुआ जा सकता।टैक्स लेवी से बचना चाहिए। यह उपाय लोगों की डिस्पोजेबल इनकम को कम करेगा,जिससे मांग प्रभावित होगी। अभी वित्तपोषण के लिये उधारी ही सही टूल होगा। हर हाल में जीडीपी में ग्रोथ की रफ़्तार बढे लींप बजट का फोकस होना चाहिए।
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