रांची:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में आध्यात्मिक प्रवचन प्रारंभ करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा आज हर विवकेशील व्यक्ति और चिंतक समाज में बढ़ रहे अनैतिकता के ज्वार से भयभीत है परंतु वह चाहकर भी इस दिषा में कुछ उपयोगी व ठोस परिणाम प्राप्त नहीं कर पा रहे है। प्रकृति के प्रति आकर्षण और आसक्ति की सूक्ष्म डोरों से बंधा हुआ मानव पथ भ्रष्ट हो गया है व परमात्म प्राप्ति की ओर न बढ़कर अनैनिकता को भी अहंकार वश नैतिकता समझने लगा है। इस समय संसार में ष्योगष् नाम से भी बहुत ही मार्ग प्रचलित हैं। कुछ लोग आग्रह पूर्वक कहते हैं कि सभी प्रचलित मार्ग परमात्मा के प्राप्ति का ही साधन है। लेकिन जब परमात्मा एक है. सत्य ज्ञान एक है तो ज्ञान योग मार्ग अनेक नहीं हो सकते हैं। विभिन्न असत्य मार्गों पर चलकर एक ही सत्य लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
आपने कहा शास्त्र शिरोमणि गीता में भगवान के महावाक्य हैं कि पहले भी योग मैंने सिखाया था। उसके प्रायः लोप होने के कारण अब पुनः मैं ही उस योग की शिक्षा के लिए अवतरित हुआ हूँ। ब्रह्मारूप से ज्ञान-पंत द्वारा सूष्टि को सतयुगी बनाने के लिए ही मैं दैवी प्रवृति में संलग्न हुआ हूँ। अतः ध्यान रहे कि ज्ञान-योग की शिक्षा स्वयं अदृश्य भगवान ही ब्रह्मा तन में दृश्यमान होकर देते हैं। परमात्मा शिव ने अवतरित होकर बैंकुण्ठ और मुक्तिधाम का साक्षात्कार कराया है और यह भी समझाया है कि अब इस सुष्टि का महाविनाश होने वाला है। इस ईश्वरीय ज्ञान और सहज राजयोग की शिक्षा से मनुष्य को जीवन में सच्चा सुख मिलता है।
पवित्रता ही सुख शान्ति की जननी है हर कीमत पर इसकी रक्षा करना अपना सर्वप्रथम कर्त्तव्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *