दरभंगा:- अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोशिएशन (ऐपवा) का आठवां राज्य सम्मेलन दरभंगा में आज से शुरू हो गया।
ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीणा तिवारी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विकास की एक मिथ्याचेतना के सहारे आज हमारे देश को प्रतिगामी ताकतें दमनकारी, शोषणकारी व्यवस्था की ओर ले रही है। अभी तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने महिलाओं के पोशाक पर टिप्पणी करते हुए पहनने-ओढ़ने के मौलिक अधिकार मखौल बनाया। न्यायधीशों की जिम्मेदारी है कि वो कानूनों की सही व्याख्या करें लेकिन वे किस तरह की व्याख्या कर रहे हैं? भँवरी देवी के केस में भी कोर्ट का रवैय्या समाज देख चुका है।
श्रीमती तिवारी ने कहा कि देश में अमीर और गरीब के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही, तमाम संसाधनों पर कुछ मुट्ठी भर लोगों का कब्जा है। आज भी देश के 70 फीसदी लोगों को पोषणयुक्त आहार नहीं मिलता। स्त्रियों सबसे अधिक खून की कमी का शिकार हैं। यह कैसा विकास का मॉडल है। आगे उन्होंने कहा कि बाल विवाह, दहेज प्रथा, स्त्री-उत्पीड़न के खिलाफ केवल कानून बनाने से नहीं होगा। वे कौन-सी जीवन परिस्थियां हैं उन्हें समझना होगा।