
रांची:- देश मे रोजी – रोटी के बढ रहे संकट ने गरीबों को भारी परेशानियों मे डाल दिया है। मोदी सरकार कोरोना महामारी की स्थिति से निपटने मे पुरी तरह विफल साबित होने के बाद अब केवल बयान और संदेश जारी कर रही है। भाजपा के नेतृत्व वाली इस सरकार ने पिछले 6 वर्षों में देश की अर्थ व्यवस्था को तबाह कर और हमारी जनता के विशाल बहुमत पर भारी मुसीबतों का बोझ डाल दिया है। एक ओर देश के किसान और मजदूर भारी संकट का सामना कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी को “ अवसर“ बताकर और आत्म निर्भर भारत का जुमला उछाल कर देश की आत्मनिर्भरता के आधार सार्वजनिक क्षेत्र के उधमो जैसे रक्षा, कोल, सेल, रेल, भेल, बीएसएनएल, पेट्रोलियम, बैंक और बीमा सहित तमाम सरकारी मिल्कियत वाले उधमो, कल – कारखानों को अपने चहेते कार्पोरेट घरानों के हवाले कर जनता के जख्म पर नमक छिड़कने का काम कर रही हैं।
पिछले 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश मे आजीविका और रोजगार के संकट से उत्पन्न त्रासदी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर एक शब्द भी कहना उचित नहीं समझा केवल नेशनल डिजिटल हेल्थ कार्ड की घोषणा की और कोरोना से निपटने के लिए वही पुराने पैकेज को दुहरा दिया। जबकि देश मे इस महामारी से मौत के शिकार होने वालों की संख्या 57 से हजार से ज्यादा हो गयी है। अब कोरोना संक्रमण के मामले में भारत 4थे नंबर पर आ गया है और देश में दहशत का माहौल बनता जा रहा है। इस स्थिति के लिए पुरी तरह केंद्रीय सरकार जिम्मेवार है क्योंकि इस खतरे का सामना करने के लिए सरकार को वैज्ञानिकों, महामारी से निपटने वाले विशेषज्ञों तथा विपक्षी राजनीतिक पार्टियों से लगातार चर्चा कर और उनकी राय लेकर ही कोई कदम उठाना चाहिए था लेकिन अहंकार और बड़बोले पन के शिकार केंद्र सरकार के मुखिया कुछ गिने-चुने प्रशासनिक अफसरों की ही सलाह पर अव्यवहारिक निर्णय लेते रहे जिसका दुष्परिणाम देश की जनता को झेलना पड़ रहा है। कोरोना से निपटने के नाम पर अवैज्ञानिक तरीके से लाकडाउन लागू करने से इससे फायदा होने के बजाय देश को इस दौरान बहुत कुछ खोना पड़ा है स्वास्थ्य के लिहाज से भी और अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी, इस संकट से निपटने मे केरल के तरीके की पुरी दुनिया मे सराहना हो रहीं लेकिन भारत सरकार ने केरल माडल से सबक लेकर पुरी मुस्तैदी के साथ देश के नागरिकों को महामारी से बचाने की कोशिश करने के बजाय अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
इस परिस्थिति में सीपीआई (एम) जनता के ज्वलंत मुद्दों से संबंधित 16 सूत्री मांगों को लेकर सुदुर गांवों से लेकर शहरों के स्लम इलाकों, मुहल्लों और कालोनियों मे व्यापक अभियान चला रही है। इस कार्यक्रम के पहले चरण का समापन 26 अगस्त को प्रखंड से प्रमंडल तक स्थानीय अधिकारियों को माननीय राष्ट्रपति को संबोधित निम्न लिखित मांगपत्र सौंपा जायगा।
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